Thursday, June 29, 2017

महाभारत की लोककथा - भाग 14

‘‘त्याग का माहात्म्य’’ 
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महाभारत की कथा की उनचालीसवीं कड़ी में प्रस्तुत एक लोककथा।
‘‘त्याग का माहात्म्य’’  

   
त्याग का माहात्म्य अर्थात् त्याग की महत्ता। यह कथा दो पक्षियों की है, वे सुख से रह रहे थे। जब उन्होंने एक बहेलिये के दुःख को जाना तो उन्होंने किस प्रकार उसकी सहायता करने का प्रयास किया और किन परिस्थ्तिियों में उन्होंने आपने प्राण देकर उसका भला करना चाहा, इस कथा में वर्णित है। उसके बाद किस प्रकार बहेलिये का जीवन परिवर्तित हुआ, यह भी दर्शनीय है। इसे विस्तार में जानने के लिये इस कथा को पढ़ें। 


एक सुन्दर संदेश देती इस कथा को पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2277.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2277&page=10&date=26-06-2017






विश्वजीत ‘सपन’

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