‘‘मित्रता और कृतघ्नता’’ का प्रथम भाग
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महाभारत की कथा की 60वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। गौतम नामक एक ब्राह्मण था। उसने वेद का अध्ययन नहीं किया था और वह निर्धन था। दस्युओं की सहायता पाकर वह भी दस्यु जैसा ही व्यवहार करने लगा। अपने एक मित्र के सुझाव पर उसने उचित मार्ग से धन कमाने का प्रयास किया। तभी उसकी भेंट बकराज राजधर्मा से होती है। यह विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
http://pawanprawah.com/admin/photo/up2628.pdf
http://pawanprawah.com/paper.php?news=2628&page=10&date=20-11-2017
विश्वजीत ‘सपन’
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महाभारत की कथा की 60वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा।
महाभारत से भी प्राचीन काल की बात है। गौतम नामक एक ब्राह्मण था। उसने वेद का अध्ययन नहीं किया था और वह निर्धन था। दस्युओं की सहायता पाकर वह भी दस्यु जैसा ही व्यवहार करने लगा। अपने एक मित्र के सुझाव पर उसने उचित मार्ग से धन कमाने का प्रयास किया। तभी उसकी भेंट बकराज राजधर्मा से होती है। यह विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।
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विश्वजीत ‘सपन’
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