Sunday, January 28, 2018

महाभारत की लोककथा - भाग 44

‘विन्ध्याचल का क्रोध’’ 
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महाभारत की कथा की 69वीं कड़ी में प्रस्तुत यह लोककथा। 


सूर्यदेव प्रतिदिन सुमेरु की प्रदक्षिणा करते थे। यह विन्ध्याचल को अच्छा नहीं लगता था। उसने जब सूर्यदेव से कहा कि वह उसकी भी प्रदक्षिणा करे, किन्तु सूर्यदेव ने कहा कि यह संभव न हो सकेगा, क्योंकि जगत के रचनाकार का बनाया नियम है। तब विन्ध्याचल ने क्रोध में आकर बढ़ना प्रारंभ कर दिया, ताकि सूर्य का मार्ग रोक सके। उसके बाद क्या हुआ, इसे विस्तार से पढ़ने के लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करें अथवा चित्र में इस कथा को पढ़ें।


http://pawanprawah.com/admin/photo/up2776.pdf

http://pawanprawah.com/paper.php?news=2776&page=10&date=22-01-2018



विश्वजीत ‘सपन’

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